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वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर कहाँ होना चाहिए?, देखें वास्तु के नियम जो बदल देंगे जिंदगी

इस दुनिया में बहुत सी चीजें ऐसी है जो दिखाई तो नहीं देती लेकिन समय समय पर अपने होने का अहसास जरूर करवा देती है। इंसान को हमेशा नियमों के अनुसार ही सभी कार्य करने चाहिए और नियम में रहकर ही अपने जीवन को जीना चाहिए। कुछ नियम जिंदगी में ऐसे भी होते है जिनका पालन अगर जीवन में नहीं किया जाए और नजरअंदाज कर दिया जाए तो उस मनुष्य के जीवन में कभी भी सूखा शांति नहीं आ सकती है।

इन नियमों में एक वास्तु शास्त्र का नियम भी है। वास्तु शास्त्र हमे बताती है की आपको जीवन में किसी भी कार्य को करने की दिशा क्या होनी चाहिए और साथ में आप अगर घर में कुछ भी स्थापित कर रहे है या फिर कोई भी चीज को रख रहे है तो उसकी दिशा क्या होनी चाहिए। घर में मंदिर की भी वास्तु शास्त्र के अनुसार एक निश्चित दिशा होती है और उसी दिशा में सभी को घर में मंदिर की स्थापना करनी चाहिए। चलिए जानते है की घर में मंडित स्थापना को लेकर वास्तु शास्त्र क्या कहता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर कहाँ होना चाहिए?

आपका घर कहीं पर भी हो लेकिन घर में ईशान कोण जरूर होता है और वास्तु शास्त्र के अनुसार बताया जाता है की ईशान कोण में देवी देवताओं का निवास होता है। वास्तु शास्त्र में बताया गया है की घर में जब भी मंदिर की स्थापना की जाती है तो उसको घर के ईशान कोण में ही स्थापित किया जाता है। घर में मंदिर स्थापित करते समय आपको हमेशा ये भी ध्यान रखना होता है की मंदिर में भगवन के पैर आपके ह्दय की ऊंचाई के बराबर में आने चाहिए। इस्ल्ये घर में मंदिर की स्थापन वास्तु के हिसाब से करनी चाहिए ताकि घर में देवी देवताओं का वास हो और घर में हमेशा सुख समर्द्धि बानी रहे।

वास्तु शास्त्र के अनुसार मंदिर का मुंह किधर होना चाहिए?

ईशान कोण में मंदिर की स्थान करनी चाहिए लेकिन इसके साथ ही आपको ये भी ध्यान रखें होता है की मंदिर का मुख हमेशा उत्तर पूर्व दिशा में ही होना चाहिए। यदि आप ऐसा नहीं करते है तो आपके घर में सुख शांति बरक़रार नहीं रह सकती है। भगवन को घर में विराजमान करने के लिए ईशान कोण और मंदिर का मुख उत्तर पूर्व में सबसे शुभ माना जाता है। जब आप मंदिर में पूजा करते है तो आपका मुख हमेशा पूर्व दिशा की तरफ से होना बताया गया है क्योंकि पूर्व दिशा में मुख करके पूजा करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।

मंदिर का मुख किधर नहीं होना चाहिए?

हिन्दू धर्म में पूजा करने और घर में मंदिर की स्थापना को लेकर भी नियम बनाये गए है और अगर इन नियमों के अनुसार मंदिर की स्थापना नहीं की जाए और नियमों के अनुसार पूजा नहीं की जाती है तो पूजा करने वाले को उसका सही से फल प्राप्त नहीं होता है। घर में मंदिर के मुख की दिशा हमेशा उत्तर पूर्व में होनी चाहिए और इसके अलावा बाकि किसी भी दिशा में मंदिर का मुख नहीं होना चाहिए।

कौन सा मुखी मंदिर घर के लिए अच्छा है?

घर में मंदिर है और उसका मुख सही दिशा में नहीं है तो आपको पूजा करने का फल प्राप्त नहीं होता है। आज के समय में बहुत से लोग ये मानते है की किसी भी दिशा में मुख कर दो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन वास्तु शास्त्र इसको लेकर क्या कहता है इस पर आपको हमेशा गौर करना चाहिए।

वास्तु शास्त्र में कहा गया है की आपको अपने घर में मंदिर हमेशा उत्तर पूर्वी मुखी ही लेकर आना चाहिए और एसकॉम उत्तर पूर्व दिशा में मुख करके ही स्थापित करना चाहिए। इससे घर में सुख शांति रहने के साथ साथ में परिवार के सभी सदस्यों को दैविये आशीर्वाद भी मिलता है। सही स्थान में पंदिर स्थापित करने और सही दिशा में पूजा करने से पुरे परिवार के साथ साथ में घर में भी हमेशा सुद्ध ऊर्जा का परवाह होता रहता है।

Disclaimer: वेबसाइट पर दी गई सभी जानकारी जिसमें विभिन्न सरकारी योजनाएं और बैंकिंग तथा अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा चलाई जा रही योजनाएं शामिल हैं, केवल आपकी जानकारी मात्र के लिए है और यह किसी भी प्रकार से निवेश की सलाह नहीं है। इसलिए किसी भी तरह के निवेश को करने से पहले जानकारों से सलाह करना जरूरी है।

Vipin Yadav

My name is Vipin Yadav, and I specialize in writing about business and government schemes for Virat Bharat. With five years of experience in this field, I have contributed to several prestigious newspapers. Following my journalism studies in Bhopal, I transitioned directly into news writing. I trust that the information I provide is valuable to you. Please feel free to send your feedback to the email address provided below.
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