गेहूं की उन्नत किस्में: उत्कृष्ट उत्पादन क्षमता और तेजी से पकने वाली किस्म
भारत में बढ़ती खाद्य सुरक्षा जरूरतों और उच्च उत्पादन की मांग को देखते हुए, विभिन्न उन्नत गेहूं किस्मों का विकास किया गया है। DBW-370, DBW-371, और DBW-372 ऐसी ही उन्नत किस्में हैं जिन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है।
मौजूदा समय में अगर किसान बाजार में जाते है तो उनको बहुत सारी उन्नत किस्मे बाजार में देखने को मिल जायेंगी जिनकी बुवाई करके किसान अपने खेतों में अधिक पैदावार ले सकते है। लेकिन गेहूं की कुछ खास किस्में भी मार्किट में मौजूद है जिनमे किसानों को सबसे अधिक पैदावार तो मिलती ही है साथ में ये किस्मे रोगप्रतिरोधक छमता के साथ में आती है। इन किस्मों से पैदा हुए गेहूं का खाने में स्वाद भी काफी स्वादिष्ट होता है।
करनाल में गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान की तरफ से कुछ गेहूं की किस्मों को इजाद किया हुआ है जिनसे किसानों को काफी अधिक पैदावार मिलती है और सबसे बड़ी बात तो ये है की इन किस्मों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ECAR) की तरफ से एप्रूव्ड भी किया गया है। इन किस्मों की बुवाई करने के लिए किसानों को इसके बीजों को खरीदारी करके बुवाई करनी चाहिए और खरीदारी भी अधिकृत बीज भंडार से ही करनी चाहिए। चलिए आपको इन किस्मों के बारे में डिटेल में बताते है की कैसे आप इन किस्मों की खरीदारी कर सकते है और इनसे कितनी पैदावार आपको मिलने वाली है।
गेहूं की उन्नत किस्में: DBW-370, DBW-371 और DBW-372
भारत में बढ़ती खाद्य सुरक्षा जरूरतों और उच्च उत्पादन की मांग को देखते हुए, विभिन्न उन्नत गेहूं किस्मों का विकास किया गया है। DBW-370, DBW-371, और DBW-372 ऐसी ही उन्नत किस्में हैं जिन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। इन किस्मों को उनकी विशेषताओं के अनुसार विभिन्न जलवायु और क्षेत्रीय आवश्यकताओं के लिए अनुकूलित किया गया है। आइए इन तीन किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं:
1. DBW-370: उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्म
- विकास और उत्पत्ति: DBW-370 का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और गेहूं अनुसंधान निदेशालय (DWR), करनाल, हरियाणा के द्वारा किया गया है।
- उपयोग: इस किस्म का मुख्य रूप से चपाती और अन्य गेहूं-आधारित उत्पादों के निर्माण में उपयोग किया जाता है।
- विशेषताएँ:
- उपज क्षमता: DBW-370 एक उच्च उपज देने वाली किस्म है, जो प्रति हेक्टेयर अधिक उत्पादन क्षमता प्रदान करती है।
- रोग प्रतिरोधकता: यह किस्म सामान्य गेहूं रोगों के प्रति कुछ हद तक प्रतिरोधी है, जिससे यह फसल रोगों से सुरक्षित रहती है।
- अनुकूलता: यह किस्म विशेष रूप से उत्तरी भारत जैसे हरियाणा, पंजाब, और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
2. DBW-371: सिंचित क्षेत्रों और अगेती बुआई के लिए उपयुक्त
- विकास और उत्पत्ति: DBW-371 गेहूं की एक उन्नत किस्म है जिसे सिंचित क्षेत्रों में अगेती बुआई के लिए विकसित किया गया है।
- उपज क्षमता:
- अधिकतम उपज: इस किस्म से अधिकतम 87.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त हो सकती है।
- औसत उपज: 75.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर औसत उपज प्राप्त होती है।
- अनुकूलता और क्षेत्र: यह किस्म कोटा और उदयपुर को छोड़कर हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अधिकतर जिलों में उगाई जा सकती है। यह उत्तर प्रदेश के झाँसी मंडल को छोड़कर शेष क्षेत्रों में और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों में भी उपयुक्त है।
- परिपक्वता समय: DBW-371 लगभग 150 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है, जो इसे समय पर कटाई और भविष्य की फसल चक्र के लिए अनुकूल बनाता है।
3. DBW-372: उत्कृष्ट उत्पादन क्षमता और तेजी से पकने वाली किस्म
- विकास और उत्पत्ति: DBW-372 को भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान, करनाल के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है।
- उपज क्षमता:
- अधिकतम उपज: इस किस्म की अधिकतम उत्पादन क्षमता 84.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
- औसत उपज: 75.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर औसत उपज प्राप्त होती है।
- परिपक्वता समय: DBW-372 किस्म लगभग 151 दिनों में पक जाती है, जो कि अन्य किस्मों के लगभग बराबर है।
DBW-370, DBW-371 और DBW-372 गेहूं की उन्नत किस्में हैं जो विभिन्न क्षेत्रों और जलवायु परिस्थितियों के लिए अनुकूलित की गई हैं। ये किस्में अधिक उपज क्षमता और कुछ हद तक रोग प्रतिरोधकता प्रदान करती हैं, जिससे किसानों को बेहतर फसल उत्पादन प्राप्त होता है।
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